हाइटेक चोरी के गिरोह के 6 सदस्य गिरफ्तार, 5 की तलाश जारी,
कोखराज व साइबर पुलिस टीम ने अपने ज्वाइंट ऑपरेशन में फर्जी फास्ट टैग आईडी से चोरी करने वाले अब तक के सबसे हाइटेक गैंग का खुलासा किया है। पुलिस की गिरफ्त में गैंग के आधा दर्जन सदस्य आए हैं, जबकि 5 सदस्य व सरगना फरार बताए जा रहे हैं। एसपी बृजेश श्रीवास्तव के मुताबिक यह गिरोह टोल प्लाज़ा के समीप सक्रिय रहकर ट्रक चालकों को महज 500 रुपये में फास्ट टैग देकर टोल प्लाज़ा को अब तक 2 करोड़ से अधिक का चूना लगा चुका है। आरोपी बदमाशों को जेल भेजने की कार्यवाही की जा रही है।
एसपी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि कौशांबी पुलिस को गोपनीय सूत्रों से जानकारी मिली थी कि कोखराज के सिहोरी टोल प्लाज़ा से कूट रचित फास्ट टैग के जरिये भारी वाहनों को बड़ी संख्या में पास कराया जा रहा है। इसके खुलासे के लिए उनके द्वारा साइबर सहित 3 टीमों का गठन किया गया था। टीम ने बड़ी गंभीरता एवं कुशलता से कार्य किया। इनके द्वारा बृहस्पतिवार को गैंग के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। इनके कब्जे से 20 अदद फास्ट टैग कार्ड (जो अवैध है), 4 मोबाइल फोन (जो घटना के दौरान प्रयोग में लाए जाते थे) बरामद किया गया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये अलग अलग बैंकों के माध्यम से फास्ट टैग के एजेंट आईडी प्राप्त कर टोल के आसपास फास्ट टैग बनाना शुरू कर देते थे। इसके बाद ये एक काल्पनिक वाहन नंबर या कोई अज्ञात वाहन नंबर को भरकर अपने गिरोह के सदस्यों के मोबाइल फोन पर ओटीपी मंगा कर फर्जी फास्ट टैग आईडी क्रिएट कर लेते थे।
टोल के आउटर जहां से गड़ियां पास होती है ,वहाँ उनके सदस्य खड़े हो जाते थे। और जो बड़े वाहन हैं, जिनका 1250 रुपये टोल कटता है। उनको वह फर्जी फास्ट टैग कार्ड महज 500 रुपये में देते थे और जब वह वाहन टोल पार कर लेता था तो वहीं दूसरी तरफ से गिरोह का सदस्य उसे ड्राइवर से ले लेते थे। कोखराज के टोल प्लाज़ा पर इस तरह का नियम है कि जब तक यहाँ पर इंट्री की हुई गाड़ी एक्ज़िट नहीं करती थी उसका ट्रांजेक्शन सफल नहीं होता था। जिसका गिरोह के सदस्यों ने फायदा उठाया। वाहन के पास होने पर उसे दूसरा फास्ट टैग देकर एक्ज़िट कराया जाता था, जिससे टोल का कोई भी ट्रांजेक्शन सफल नहीं हो पाता था।
एसपी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस गिरोह के चलते टोल प्लाज़ा कंपनी को अब तक डेढ़ से 2 करोड़ रुपये का घाटा होने की बात प्रकाश मे आई है। संभावना है कि घाटा इससे भी अधिक हो सकता है, क्योंकि प्रतिदिन टोल से गिरोह 1 फास्ट टैग पर 70 से 80 गाड़ियों को पास कराया करता था। एक फास्ट टैग पर गिरोह को 35 से 40 हज़ार रुपये की बचत हुआ करती थी। गिरोह के सदस्य ट्रक चालकों से सीधे संपर्क कर फास्ट टैग बना देते थे। जिसमें ड्राइवर को टोल को देने वाले रुपये 1250 रुपये के बदले 500 रुपये फास्ट टैग वालों को देने पड़ते थे। इसमें ड्राइवर भी 750 रुपये बचत कर लेता था। पुलिस को अब भी गिरोह के सरगना सहित 5 लोगों को तलाश है।