भारतीय संस्कृति में धार्मिक त्योहारों का महत्व अत्यधिक है। इन त्योहारों के माध्यम से हम आपसी समरसता, भगवान की पूजा और आदर का संदेश देते हैं। भगवान विष्णु के अनेक अवतारों में से एक अवतार हैं ‘श्रीकृष्ण’। उनके अवतारों को याद करते हुए, हम भगवान की पूजा करने के लिए विभिन्न तिथियों का महत्व मानते हैं। एक ऐसा पवित्र पर्व है ‘श्रावण पुत्रदा एकादशी’ जिसे हम इस लेख में जानेंगे।
‘श्रावण पुत्रदा एकादशी’ का मतलब होता है ‘श्रावण मास’ की एकादशी तिथि। यह त्योहार हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इसे ‘परिवादिनी एकादशी’ भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों का परिहार होता है और सुख-शांति प्राप्त होती है।जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस एकादशी का व्रत पुत्र दायक माना जाता है. जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं या संतान होते हुए भी संतान का सुख नहीं ले पा रहे हैं उन्हें सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य ही रखना चाहिए. इस व्रत को रखने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है, संतान का सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
इस त्योहार का आयोजन विशेष धूमधाम से होता है। लोग मंदिरों में जाकर भगवान की मूर्ति की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। विशेष रूप से विष्णु सहस्रनाम का पाठ इस दिन किया जाता है। भगवान की अर्चना के साथ-साथ भक्त दिनभर उपवास करते हैं और रात को फलाहार खाते हैं।
इस त्योहार का महत्व गीता में दिया गया है, जहां श्रीकृष्ण अर्जुन से एकादशी व्रत के महत्व को बताते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने का माध्यम माना जाता है, और इसका पालन करने से भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करके मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
इसके अलावा, ‘श्रावण पुत्रदा एकादशी’ का महत्व अपने माता-पिता के प्रति भक्ति और समर्पण का भी होता है। इस दिन बच्चे अपने माता-पिता के पास वक्त बिताते हैं और उनकी सेवा करते हैं। इससे परिवार के सदस्य एक-दूसरे के साथ आत्मीयता और प्यार की भावना बढ़ाते हैं।
इस त्योहार के माध्यम से हम अपने जीवन में धर्म, भक्ति, और परिवार के महत्व को समझते हैं। ‘श्रावण पुत्रदा एकादशी’ हमें भगवान की शरण में आने और सच्चे धर्म का पालन करने का मार्ग दिखाता है। इसके माध्यम से हम अपने जीवन को सुखमय और सांत्वना से भर देते हैं।
इस पवित्र त्योहार के माध्यम से हम भगवान विष्णु के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को खुशियों से भर देते हैं। ‘श्रावण पुत्रदा एकादशी’ हमें धार्मिक आदर और परिवार के महत्व की महत्वपूर्ण सिख देता है, और इसे मनाकर हम अपने जीवन को धर्मपरायण बना सकते हैं।