योग करने से सेहत को अनगिनत फायदे होते हैं, इससे शरीर के भीतरी और बाहरी हिस्सों को स्वस्थ और मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
योग न केवल शारीरिक विश्राम को बढ़ावा देता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक तनाव को भी कम करता है। योगाभ्यास तन-मन से लेकर अध्यात्मक तक की राह को सुगम कर डालता है। पारंपरिक योग सिद्धांतों के अनुसार योगासन और प्राणायाम से शरीर व मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
योगासन का लक्ष्य शरीर को लचीला बनाना है। इसके लिए क्रमबद्ध और व्यवस्थित तरीके से अभ्यास किया जाता है। पश्चिमोत्तानासन और त्रिकोणासन जैसे आसन मांसपेशियों, मांसपेशियों को हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। निरंतर अभ्यास के साथ इनका लचीलापन बढ़ता है, शरीर में गतिशीलता बढ़ती है। यह लचीलापन चोटों के जोखिम को कम करता है और फिजिकल परफॉर्मेंस को बढ़ाता है। इसके अलावा इससे कोर मसल्स मजबूत बनती हैं।कुछ आसन विशेष रूप से आंतरिक अंगों को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए हैं। उदाहरण के लिए, अर्ध मत्स्येन्द्रासन जैसे घुमावदार आसन धीरे-धीरे पाचन अंगों पर दबाव डालकर उनकी मसाज करते हैं। अच्छे पाचन से लेकर शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करते हैं। सर्वांगासन जैसे आसन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाते हैं और अंत:स्रावी तंत्र को उत्तेजित करते हैं, जिससे हार्मोंन का स्राव संतुलित रूप से होने लगता है।
तु बंधासन जैसे आसन शरीर के विभिन्न भागों में रक्त के प्रवाह को सुचारू करते हैं। परिसंचरण में सुधार करते हुए यह मुद्राएं विषाक्त पदार्थों को दूर हटाते हुए कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाती हैं। योग के नियमित अभ्यास से लसिका प्रणाली उत्तेजित होती है, जो शरीर से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को बाहर करते हुए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
श्वसन मुद्रा से मन को मिलती है शांति
गहरी, धीमी सांस लेने का अभ्यास पैरासिम्पेथेटिक नर्व सिस्टम को सक्रिय करने में मदद करता है, जिससे विश्राम और शांति की स्थिति बनती है। यह तकनीक तनाव और चिंता को कम करती है, जिससे व्यक्तियों को मानसिक स्पष्टता और आंतरिक शांति का अनुभव होता है। सचेत रूप से सांस पर ध्यान केंद्रित करके, व्यक्ति वर्तमान क्षण में खुद को स्थिर कर सकता है। आवेश में आना घटता है और शांति की भावना को बढ़ावा मिलता है।
नासिका श्वास से शरीर में बढ़ता है ऊर्जा का संतुलन
नासिका श्वास एक प्राणायाम तकनीक है जो शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करती है। बाएं और दाएं नथुने से बारी-बारी से श्वास लेने की यह तकनीक व्यक्तियों को मानसिक संतुलन, फोकस और स्पष्टता हासिल करने में मदद करती है। यह मस्तिष्क के बाएं और दाएं गोलाद्र्धों को बेहतर बनाती है, सोचने-समझने के कार्य को बढ़ाती है और समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है।
भ्रामरी से भावनात्मक बाधाएं होती हैं दूर
भ्रामरी प्राणायाम एक ऐसी तकनीक है जिसमें सांस छोड़ते हुए हल्की गुंजन की आवाज आती है। यह अभ्यास वेगस तंत्रिका को उत्तेजित करता है, पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है और तनाव को कम करता है। यह भावनात्मक बाधाओं को दूर करने में मदद करता है, चिंता, क्रोध और अवसाद की भावनाओं को कम करता है। गुनगुनाहट की ध्वनि से होने वाला कंपन तंत्रिका तंत्र पर शांत प्रभाव डालता है, भावनात्मक स्थिरता और संतुलन को बढ़ावा देता है।
प्राणायाम से नींद को मिलता है बढ़ावा
उदर से श्वास लेने वाली प्राणायाम तकनीक तंत्रिका तंत्र को शांत करती है और गहरे विश्राम को बढ़ावा देती है। सोने से पहले इस तकनीक का नियमित अभ्यास नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, जिससे अधिक विश्रांति और कायाकल्प तक का अनुभव हो सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।