पावर कारपोरेशन द्वारा सरचार्ज के नाम पर 61 पैसे प्रति यूनिट बिजली उपभोक्ताओं से वसूली की तैयारी पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पानी फेर दिया। इस संबंध में गुरुवार को उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में वाद दाखिल कर असंवैधानिक बताया।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ईंधन अधिभार लगाने के लिए विद्युत नियामक आयोग ने जून 2020 में एक कानून बनाया है। पावर कारपोरेशन ने उस कानून के विपरीत जाकर मनमाने तरीके से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढोतरी के लिए जो साजिश किया है, वह पूरी तरीके से आयोग की अवमानना है। उसे आयोग अविलंब खारिज करे। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यदि कानून के तहत प्रस्ताव दाखिल किया जाता तो 30 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को लाभ मिलता। ऐसा न करके बिजली कंपनियां प्रदेश के उपभोक्ताओं पर भार डलवाने के लिए आमादा है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जिस राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर कुल लगभग 33122 करोड सरप्लस निकल रहा है। उस राज्य में किस आधार पर ईंधन अधिभार लगाने के लिए आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया। इसे खारिज किया जाना चाहिए। प्रदेश की बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं की बिजली दरें बढाने के लिए हर हथकंडा अपना रही हैं लेकिन उन्हें शायद नहीं पता है कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत ही किसी कार्यवाही को आगे बढाया जा सकता है। उसके विपरीत कोई भी कार्रवाई वह केवल हंसी का पात्र बनाती है।
वर्मा ने कहा कि जनवरी, फरवरी-मार्च 2023 के लिए जो आकलन पावर कारपोरेशन ने प्रदेश के उपभोक्ताओं से कुल 1437 करोड की वसूली करने के लिए 61 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर अलग-अलग श्रेणी वार औसत विलिंग दर के आधार पर उपभोक्ताओं पर बढोतरी मांगी है, वह 28 पैसे प्रति यूनिट से लेकर 1.09 रुपये प्रति यूनिट तक है। इसे किसी भी हालत में उपभोक्ता परिषद लागू नहीं होने देगा।