सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस की अभिरक्षा में हुई हत्या पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि इसमें ‘‘किसी की मिलीभगत है’’। न्यायालय ने राज्य सरकार से 2017 के बाद से हुए 183 पुलिस एनकाउंटर पर रिपोर्ट भी मांगी है।
पुलिस के अनुसार, मार्च 2017 से कई पुलिस एनकाउंटर में 183 लोग मारे गए हैं। न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें इन एनकाउंटर का विवरण , दायर आरोप पत्र और मुकदमे की स्थिति के बारे में बताया जाए। पीठ ने कहा कि अतीक की सुरक्षा में दस लोग थे कैसे कोई आकर गोली मार सकता है?
ऐसा कैसे हो सकता है? किसी की मिलीभगत न हो।’’ अतीक की बहन आयशा नूरी की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया। नूरी ने याचिका में अपने भाइयों की हत्या की व्यापक जांच के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि याचिकाकर्ता विशाल तिवारी की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें पुलिस मुठभेड़ और इनमें पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक जांच आयोग गठित करने का अनुरोध किया गया था और कहा कि राज्य सरकार पहले ही इस तरह का एक आयोग बना चुकी है।