ज्ञानवापी परिसर में चल रहे भारतीय पुरातत्व (एएसआई) के सर्वे को रोकने और सर्वे के खर्च से संबंधी प्रतिवादी पक्ष की याचिका को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने गुरुवार को खारिज कर किया। अदालत ने कहा कि सर्वे में मिल रहे साक्ष्यों को सुरक्षित रखने का आदेश पहले ही जिलाधिकारी को दिया गया है।
प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे रोकने संबंधी प्रार्थना पत्र अदालत में दाखिल किया था। प्रतिवादी पक्ष ने अपनी याचिका में बिना फीस जमा किए एएसआई द्वारा ज्ञानवापी में सर्वे को रोकने की मांग की थी। प्रतिवादी पक्ष का कहना था कि सर्वे विधि विरुद्ध तरीके से किया जा रहा है। इसलिए ज्ञानवापी में सर्वे का काम रोका जाए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आदेश के लिए 28 सितंबर की तिथि मुकर्रर की थी। आज अदालत ने प्रतिवादी पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि एएसआई सर्वे की फीस प्रतिवादी इंतजामिया मसाजिद कमेटी का विषय नहीं है, हम इसे नहीं सुन सकते हैं। अगर वाद दाखिल करना है तो सुप्रीम कोर्ट जाएं।
गौरतलब हो कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से ज्ञानवापी में एएसआई ने सर्वे का काम बीते चार अगस्त से शुरू किया। लगातार हो रहे सर्वे को स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को रोका गया। इसके बाद पुलिस और प्रशासनिक अफसरों, फोर्स, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की मौजूदगी में सर्वे का काम शांतिपूर्ण माहौल में चल रहा है। एएसआई छह अक्टूबर तक सर्वे की रिपोर्ट जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में पेश करेगी। उधर, ज्ञानवापी स्थित सील वजूखाने का एएसआई से सर्वे कराने के लिए मुख्य वाद मां शृंगार गौरी की वादिनी राखी सिंह की तरफ से दाखिल प्रार्थना पत्र पर भी गुरुवार को जिला जज की अदालत ने सुनवाई की। इस याचिका से जुड़े पक्ष को आवेदन की प्रति दी गई। इसके बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि पांच अक्टूबर तय की।