श्रावण मास के पहले सोमवार को संगम नगरी के शिवालयों में आस्था और उल्लास देखने को मिला। मनकामेश्वर महादेव मंदिर में एक किलोमीटर लंबी कतार देखेने को मिला तो वहीं दशाश्वमेध महादेव, वेणीमाधव महादेव, अरैल घाट स्थित सोमेश्वर महादेव, पंडि़ला महादेव जैसे शिवालयों में भोर से ही भक्तों का तांता लगा रहा। बोल बम के नारों से शिवालय गुंजायमान रहे।
संगम क्षेत्र में यमुना किनारे स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर मैं सुबह 3:00 बजे से ही कतार देखने को मिली। भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने के लिए भक्त बहुत सही आना शुरू हुए और सुबह 7:00 बजे के आसपास 1 किलोमीटर लंबी लाइन देखी गई। यह लाइन धीरे धीरे जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था वैसे वैसे बढ़ती जा रही थी।
ऐसी मान्यता है कि मनकामेश्वर मंदिर में अगर कोई श्रद्धालु मन से दर्शन-पूजन करता है तो भगवान भोलेनाथ उसकी मुराद पूरी करते हैं। स्कंद पुराण और प्रयाग महात्म में भी इस मंदिर का वर्णन है। स्कंद पुराण के अनुसार अक्षयवट के पश्चिम में पिशाच मोचन मंदिर के पास यमुना के किनारे भगवान मनकामेश्वर का तीर्थ है। भगवान मनकामेश्वर महादेव को शिव का पर्याय माना जाता है। आईकास की प्रयागराज चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी के मुताबिक यह धार्मिक मान्यता है कि जहां शिव होते हैं वहां कामेश्वरी अर्थात पार्वती का भी वास होता है। यहां भैरव, यक्ष और किन्नर आदि भी विराजमान हैं। कामेश्वर और कामेश्वरी का तीर्थ होने के कारण यह बेहद महत्वपूर्ण है।
सोमेश्वर महादेव मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मुस्तैद पुलिस बल ने दो लाइनों में भक्तों को मनकामेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन पूजन की अनुमति दी है। एक लाइन में पुरुष जबकि दूसरी लाइन में महिलाओं को मंदिर में प्रवेश किया जा रहा है। मंदिर के अंदर भक्तों को पूजा अर्चना के बाद जल्द ही बाहर निकाल दिया जा रहा है ताकि भीड़ का दबाव कम हो सके। सावन के पहले सोमवार को मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया है।
श्रावण मास के पहले सोमवार पर संगम तट के अरैल क्षेत्र में चंद्रदेव द्वारा स्थापित शिवलिंग सोमेश्वर महादेव मंदिर परिसर में स्वच्छता और सुरक्षा के विशेष इंतजामात देखने को मिले।
अग्नि पुराण में सोमेश्वर महादेव की महिमा का विस्तार से वर्णन मिलता है। जिसके मुताबिक महा गौतम ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रदेव ने रेल के संगम तट पर सोमेश्वर महादेव की स्थापना करके श्रावण मास में लगातार एक महीने तक चंद्र कुंड घाट पर स्नान करने के बाद सोमेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते थे, जिससे उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई थी। आज भी इस मान्यता के तहत ब्लाक सावन मास में सोमेश्वर महादेव का दर्शन पूजन और जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। इस शिवलिंग का दर्शन करने के लिए प्रयागराज के अलावा मिर्जापुर, रीवा, चित्रकूट, कौशांबी, जौनपुर, भदोही, प्रतापगढ़ और अमेठी तक से श्रद्धालु यहां आते हैं।