मालेगांव 2008 विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विशेष एनआईए अदालत में आवेदन दायर कर अदालत को सूचित किया कि उसने सबूतों की रिकॉर्डिंग पूरी कर ली है और उनकी ओर से बयान दर्ज करने के लिए और गवाहों को बुलाने की जरूरत नहीं है। एनआईए ने इस मुकदमे में 323 गवाहों के बयान दर्ज किए जबकि 37 गवाह मुकर गए। 29 सितंबर, 2008 की रात करीब 9 बजकर 35 मिनट पर मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के ठीक सामने एक बम धमाका हुआ था। यह धमाका एक मोटरसाइकिल में हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग घायल हुए थे। धमाके के बाद 30 सितंबर, 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ था।
चूंकि ये मामला आतंक से जुड़ा हुआ था, इसलिए महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने इस मामले की जांच अपने पास ली और 21 अक्टूबर, 2008 को एफआईआर में यूएपीए और मकोका की धारा लगाई गई। मालेगांव हादसे के जांच के दौरान 20 जनवरी, 2009 को महाराष्ट्र एटीएस ने मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी, उसमें 11 लोगों को गिरफ्तार और तीन लोगों को फरार दिखाया गया था। इसी मामले में एटीएस ने 21 अप्रैल, 2011 को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद 1 अप्रैल, 2011 को मालेगांव बम धमाके की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई थी। एनआईए ने अपनी जांच के दौरान 13 मई, 2016 को चार्जशीट दायर की, जिसमें छह लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिले। इनमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण करसंग्रा, श्याम भंवर लाल साहू, प्रवीण तकलकी, लोकेश शर्मा और धनसिंह चौधरी का नाम शामिल था। एनआईए ने कहा था कि इस मामले में मकोका नहीं लग सकता। इसके बाद आरोपितों ने जमानत की अर्जी डाली, जिसके बाद कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत दूसरे आरोपितों को जमानत मिल गई थी। आरोपितों ने जमानत मिलने के बाद कोर्ट में डिस्चार्ज एप्लीकेशन दायर की। 27 दिसंबर, 2017 को स्पेशल एनआईए कोर्ट में आरोपितों के डिस्चार्ज एप्लिकेशन पर फैसला सुनाया गया, जिसमें श्याम साहू, शिव नारायण करसंग्रा और प्रवीण तकलकी को आरोपों से बरी कर दिया गया था। राकेश धावड़े और जगदीश म्हात्रे पर से कई धाराएं कोर्ट ने हटाईं और उन दोनों पर सिर्फ आर्म्स एक्ट के तहत ही आरोप तय किए। प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय रहिकर, सुधाकर चतुर्वेदी, सुधीर द्विवेदी के खिलाफ दायर मकोका, यूएपीए की धारा 17, 29, 23 और आर्म्स एक्ट की धाराएं हटा दी गई थीं लेकिन उन पर से यूएपीए की धारा 18, हत्या और हत्या की साजिश की धाराएं लगाकर आरोप तय कर दिए गए थे। उसके बाद से ट्रायल चल रहा है।