यात्रियों के लिए भरोसेमंद मोबाइल नेटवर्क सुनिश्चित करेगा एनसीआरटीसी

रैपिडएक्स ट्रेन सेवा के यात्रियों के लिए भरोसेमंद मोबाइल नेटवर्क सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एनसीआरटीसी ने मोबाइल कवरेज समाधान प्रदाताओं से निविदाएं आमंत्रित की हैं। इसमें दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के भूमिगत खंड में शेयर्ड मोबाइल कवरेज प्रदान करने के लिए इन-बिल्डिंग सॉल्यूशंस (आईबीएस) के लिए लाइसेंसिंग स्पेस प्रदान करना शामिल है।

82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठआरआरटीएस कॉरिडोर में दिल्ली और मेरठ में लगभग 12 किमी का सेक्शन भूमिगत है, जिसमें 5 किमी का हिस्सा दिल्ली में है। इसके अंतर्गत आनंद विहार का भूमिगत स्टेशन शामिल है। वहीं मेरठ में लगभग 7 किमी का सेक्शन भूमिगत है, जिसमें मेरठ सेंट्रल, भैसाली और बेगमपुल तीन भूमिगत स्टेशन शामिल हैं।

आमंत्रित निविदा के अंतर्गत, एक सिंगल न्यूट्रल होस्ट प्रदाता, वर्तमान और भविष्य के सभी मोबाइल ऑपरेटरों के लिए एक सामान्य इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से इन-बिल्डिंग सॉल्यूशंस (आईबीएस) प्रदान करेगा। इस व्यवस्था के जरिए मोबाइल सर्विस ऑपरेटर अपने उपभोक्ताओं को आसानी से एवं कुशलतापूर्वक सेवाएँ मुहैया करवा सकेंगे। यह न्यूट्रल होस्ट प्रदाता जीएसएम, यूएमटीएस, एलटीई और 5जी प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न प्रकार की तकनीकों के लिए विभिन्न मोबाइल ऑपरेटरों को शेयर्ड सोल्यूशंस प्रदान करेगा। इस पहल के साथ एनसीआरटीसी का लक्ष्य है कि भूमिगत स्टेशनों और उन्हें जोड़ने वाली टनलों में यात्रियों को विभिन्न मोबाइल ऑपरेटरों से निर्बाध मोबाइल सेवाएं प्रदान की जा सकें।

मौजूदा जन शहरी परिवहन प्रणालियों में अक्सर यह देखा गया है कि यात्रियों को भूमिगत सेक्शन में खराब नेटवर्क या बिल्कुल मोबाइल नेटवर्क न होने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि एलिवेटेड सेक्शन्स में ऐसी कोई समस्या नहीं होती, क्योंकि यहाँ स्थापित टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा कवरेज सुनिश्चित की जाती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब कनेक्टिविटी एक ज़रूरत बन चुकी है, एनसीआरटीसी का प्रयास है कि रैपिडएक्स सेवाओं के शुरू होने से पहले ही भूमिगत भागो में नेटवर्क न होने की समस्या का समाधान उपलब्ध कराया जाए।

यह पहल एनसीआरटीसी के नॉन-फेयर बॉक्स रेवेन्यू को बढ़ाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। जिसके द्वारा दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की व्यावसायिक क्षमता का समुचित उपयोग किया जा सकेगा जो परियोजना की ससटेनिबिलिटी में सहायक होगा।