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केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया के प्रयास से मीरजापुर में बनेगा नर्सिंग कालेज
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रोजगार सृजन के साथ कुशल और योग्य नर्सों की होगी उपलब्धता
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चिकित्सा के क्षेत्र में दक्ष बनेंगे विंध्य क्षेत्र के युवा और युवतियां, खुलेंगे उन्नति के द्वार
मीरजापुर। विंध्य क्षेत्र लगातार विकास पथ पर अग्रसर है। मीरजापुर को मेडिकल कालेज के बाद अब नर्सिंग कालेज की सौगात मिली है। इससे स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के साथ रोजगार को बढ़ावा मिलेगा ही, मरीजों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने से सहूलियत होगी। यही नहीं, अब विंध्य क्षेत्र के युवा व युवतियां चिकित्सा के क्षेत्र में दक्ष बनेंगे ही, उन्नति के द्वार खुलेंगे और घर-परिवार के साथ देश को नाम रोशन करेंगे।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री व सांसद अनुप्रिया पटेल के प्रयास से मीरजापुर में नर्सिंग कालेज की स्थापना की जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नर्सिंग कालेज का प्रस्ताव केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भेजा जा चुका है। लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से नर्सिंग कालेज का निर्माण किया जाएगा। बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023-24 में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से देशभर में 157 नए नर्सिंग कालेजों की स्थापना की घोषणा की थी। इनमें से सर्वाधिक 27 नर्सिंग कालेज की स्थापना उत्तर प्रदेश में की जाएगी। अमृतकाल के दौर में देश के समग्र विकास के विजन के अनुरूप इन नर्सिंग कालेजों का निर्माण 2014 के बाद से स्थापित 157 मेडिकल कालेजों के साथ सह-स्थानों में किया जाएगा।प्रधानमंत्री मोदी कर चुके हैं मेडिकल कालेज का उद्धाटन
बता दें कि केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के प्रयास से मीरजापुर में मां विंध्यवासिनी स्वशासी राज्य चिकित्सा मेडिकल महाविद्यालय की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 अक्टूबर 2021 को मेडिकल कालेज जनता को समर्पित किया। मेडिकल कालेज की स्थापना से जनपद सहित प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा सुदृढ़ हुआ है।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलने से मरीजों को होगी सहूलियत, भटकने की जरूरत नहीं
केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि संसदीय क्षेत्र मीरजापुर में काफी समय से नर्सिंग कालेज की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जो छात्रों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर सके। अब नर्सिंग कालेज की स्थापना होने से रोजगार सृजन के साथ कुशल और योग्य नर्सों की उपलब्धता में वृद्धि होगी। इससे जनपद में ही रोगियों को सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी। इसके लिए अब उन्हें गैर जनपद या प्रांत जाकर भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।