रक्षाबंधन का त्योहार भारत में एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पर्व है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्थन और प्रेम से जोड़ता है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसे बधाई देती हैं, जिससे भाई अपने समर्थन का वादा करता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रक्षाबंधन का प्रसिद्ध इतिहास है। एक कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी और देवराज इंद्र की बेटी देवी सुनयना ने श्रावण पूर्णिमा को अपने भाई बालि राजा को राखी बांधी थी। बालि राजा ने उसे बधाई देते हुए वचन दिया कि वह उसके समर्थन के लिए हमेशा तैयार रहेगा। इसलिए, रक्षाबंधन का नाम भाई को समर्थन करने के भाव से जुड़ा हुआ है।
एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी के बीच भी रक्षाबंधन का उल्लेख मिलता है। द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की चोटी से एक बाल निकालकर उसे राखी बना लिया था और उसे बांध दिया था। श्रीकृष्ण ने इसे देखते हुए उसे समर्थन और सुरक्षा का वचन दिया था।
रक्षाबंधन का यह पवित्र त्योहार भाई-बहन के प्यार और समर्थन को दर्शाता है। यह भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण मान्यता है और लोग इसे धृड़ता से मनाते हैं। रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार देते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का समय बिताते हैं।
आजकल, रक्षाबंधन के त्योहार को भाई-बहन के आत्मीय रिश्ते का प्रतीक माना जाता है और इसे समाज में समर्थन और सदयता की भावना से जीवंत रखा जाता है। इस पर्व को खुशी और उल्लास के साथ मनाना लोगों की पारंपरिक शैली है।
रक्षाबंधन त्योहार ने भारतीय संस्कृति में समर्थन, प्यार, और भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत किया है, जो हमारे समाज के नीति और एकता के लिए महत्वपूर्ण है।
इस बार रक्षाबंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा. भद्रा होने की वजह से 30 अगस्त की रात या 31 अगस्त की सुबह मनाना ही उचित होगा
30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल आरंभ हो जाएगा. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाना निषेध माना गया है. 30 अगस्त को भद्रा काल रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा. राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ होता है. ऐसे में 30 अगस्त के दिन भद्रा काल के कारण राखी बांधने का मुहूर्त सुबह के समय नहीं होगा. उस दिन रात में ही राखी बांधने का मुहूर्त है. 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है, इस समय भद्रा का साया नहीं है. इसलिए आप सुबह-सुबह भाई को राखी बांध सकती हैं.