इलाहाबाद हाईकोर्ट अपने एक फैसले में कहा है कि भगोड़ा घोषित हुए व्यक्ति को भी अग्रिम जमानत पाने का पूरा अधिकार है. सिर्फ कानूनी रूप से सही होना ही गिरफ्तारी का आधार नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि भगोड़ा घोषित किया गया व्यक्ति भी अग्रिम जमानत पाने का पूरा अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि यदि जांच अधिकारी के पास ये यकीन करने का कोई कारण नहीं है कि अभियुक्त कहीं भाग सकता है, तो गिरफ्तारी जरूरी नहीं है. गोरखपुर के संजय पांडे की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति ने यह टिप्पणी की. अधिवक्ता का कहना था कि याची के विरुद्ध गोरखपुर के कैंट थाने में आईपीसी की धारा 504,506, 419, 420, 467, 468, 471,के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है. 15 दिसंबर 2022 को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत फरार होने की सूचना जारी कर दी.अधिवक्ता का कहना था कि याची वास्तव में भाग नहीं रहा था, बल्कि उसके विरुद्ध अन्य कई मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं.जिसमें वह फंसा हुआ था. कोर्ट का कहना था कि संविधान की मंशा है कि अभियुक्युतों को तभी गिरफ्तार किया जाना चाहिए, जब हिरासत में उससे पूछताछ करना आवश्यक हो, या कोई बहुत गंभीर अपराध का मामला हो. जहां अभियुक्युत द्वारा गवाहों को प्रभावित करने या उसके भाग जाने की आशंका हो. अदालत ने याची संजय पांडे की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूरजू कर ली है।