। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ) रायबरेली में दिल के जन्मजात छेद को बिना ऑपरेशन के सफ़लता पूर्वक बंद कर दिया है। शनिवार को दोपहर एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा रचे जा रहे इस इतिहास का लाइव टेलीकास्ट भी किया गया
उल्लेखनीय है कि एंडोवैस्कुलर तकनीक के दौरान लगायी जाने वाली वीएसडी डिवाइस को, मरीज की जांघ के रास्ते दिल तक पहुंचाया जाता है। लेकिन यह प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल होती है तथा सफलता की संभावना भी कम रहती है।
कार्डियोलॉजी विभाग के सर्जन डॉ अंकित गुप्ता और चंडीगढ़ से आए (कोर्स डायरेक्टर) प्रोफेसर जीत राम कश्यप ने कैथ लैब एक साथ बिना ऑपरेशन (एट्रियल सेप्टल दोष ) मरीज के दिल में छेद को बंद किया। ह्रदय वक्ष शल्य चिकित्सा विभाग के सर्जन डा.अंकित गुप्ता के अनुसार मरीज को बिना चीर फाड़ किए पैर की नसों के जरिए डिवाइस देकर दिल के छेद को बिना चीर फाड़ के बंद किया गया। दिल में छेद को कैथेटर-आधारित एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) को रक्त वाहिका में डाल कर इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके मरीज के हृदय तक पहुंचाया गया। मरीज अर्चना को ज्यादा बेहोशी की दवा नहीं दी गई, न ही चीर फाड़ की गई।
उन्होंने बताया कि 48 घंटे बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जायेगी। मरीज को जन्मजात दिल में छेद था, उससे परेशानी हो रही थी। कान्फ्रेस हाल में मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी का सजीव प्रसारण किया गया।जिसे एम्स के निदेशक प्रोफेसर डॉ अरविंद राजवंशी, डिप्टी डायरेक्टर एसके सिंह, डीन प्रो डा नीरज कुमारी, प्रशासनिक अधिकारी समीर शुक्ल के साथ अन्य लोगों ने भी देखा है।