बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना सहित चार राज्यों में होने वाले चुनाव की तैयारियों को लेकर पार्टी के पदाधिकारियों संग बैठक की। उन्होंने राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश के हालात और ताजा राजनीतिक समीकरण पर भी चर्चा की है।
मायावती ने बैठक में कहा कि बसपा कई राज्यों में बैलेंस ऑफ पावर बनकर जरूर उभरी है। लेकिन बसपा विरोध-विरोधी जातिवाद तत्व, सरकार बनाने की अपनी लोभ में साम, दाम, दंड, भेद आदि अनेक हथकंडे अपनाकर बसपा के विधायकों को तोड़ लेते हैं। इससे जनता के साथ विश्वासघात होने से बसपा मूवमेंट को भी काफी आघात पहुंचता है।
मायावती ने कहा कि बसपा ने सबसे आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में चार बार अपनी सरकार बनाकर बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर के सपनों को जमीनी हकीकत में उतारने के लिए ‘सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति’ का काफी हद तक बेमिसाल काम किया है। लेकिन दूसरे राज्यों में भी बैलेंस ऑफ पावर बनकर सरकार में शामिल होकर गरीबों उपेक्षितों के हित व उन पर होने वाले अत्याचार को रोकने का काम किया जा सकता है। इसलिए चार राज्यों के हाल दिनों में होने वाले चुनाव के बाद बैलेंस ऑफ पावर बनने पर, लोगों की चाहत के हिसाब से सरकार में शामिल होने पर विचार संभव है।
बसपा प्रमुख ने आगे कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से गरीबों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों में खासकर मुस्लिम और इसाई समाज के लिए लोगों और उनके संस्थानों पर जुल्म-ज्यादती पर भी सरकारी द्वेष और अत्याचार की लगातार खबरें आती है, जो दुखद है। इसका समाधान तभी संभव है जब सरकार में उनके हितैषी पार्टी के सच्चे व ईमानदार प्रतिनिधि हों।
कई राज्यों में बाढ़ पीड़ितों के साथ सरकारी बेरूखी का संज्ञान लेते हुए मायावती ने कहा कि पीड़ितों के लिए लोगों को जो संभव हो सके जरूर मदद करनी चाहिए। सरकार को भी मदद के लिए आगे आने पर जोर देना चाहिए।