राजनीति में नित्य नए प्रयोग में माहिर भाजपा व उसके चाणक्य 2023 के घोसी उपचुनाव में स्वयं अपने ही नए समीकरण में फंस गए हैं। घोसी लोकसभा से लेकर, मऊ, मधुबन व घोसी विधानसभा की सियासत में इस समय राजनीति की वह गुत्थी उलझी हुई है कि न तो निगलते बन रही है और न ही उगलते। ऐसे में चौहान-राजभर के राजनीति के समीकरण के नए खेल के चक्रव्यूह में खुद भाजपा फंस गई है।
कहने को यह है, और चट्टी चौराहे पर यह चर्चा में है कि सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर व सपा छोड़ भाजपा में आए और घोसी उपचुनाव के भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान घोसी के सियासी जंग में फंस चुके हैं, लेकिन सच्चाई केवल यही नहीं है। इन दोनों नेताओं का क्षणिक भविष्य दांव पर तो है, लेकिन राजनीति में नित्य नए प्रयोग की मास्टर माइंड भाजपा और उसके चाणक्य इस खेल में बुरी तरह उलझ गए हैं और उलझन ऐसी है कि सुलझने का नाम नहीं ले रही है।
उपचुनाव में विधानसभा की घोसी की एक सीट के जीत के बहुत मायने विधायक की संख्या की बढ़ोतरी के हिसाब से भाजपा के लिए नहीं है। ना तो केंद्र सरकार और ना ही प्रदेश की सरकार पर इस जीत का कोई असर पड़ना है। लेकिन ओपी और दारा के राजभर व चौहान के प्रयोग से अगर भाजपा हारती है तो आगामी 2024 के खेल में मुश्किलें कुछ अलग प्रकार की बढ़ जाएगी। क्योंकि भाजपा उपचुनाव के सहारे ओमप्रकाश राजभर व दारा सिंह चौहान की राजनैतिक परीक्षा भी करा रही है और इस परीक्षा में ये दोनों नेता अच्छे अंक के साथ पास हों, यह उम्मीद भी लगा बैठी है। साथ ही खुद 2024 के लिए उर्वरा मिट्टी की तलाश कर रही है। क्योंकि भाजपा का पूर्वांचल की सीटों पर ओमप्रकाश (राजभर) व दारा (चौहान) बाया दिल्ली की कुर्सी पर हैट्रिक लगाने की फिराक में है!
घोसी उपचुनाव भाजपा दारा सिंह चौहान व ओमप्रकाश राजभर के बहाने इजी-वे में जीतने आई थी, दोनों नेताओं ने घोसी की सियासत में अपनी पटकथा की जो कहानी भाजपा के रणनीतिकारों को बताई थी, वह बसपा सुप्रीमो मायावती की एक चाल से धराशायी हो गई। दूसरी चाल सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर के राजनैतिक नैया के कभी खेवनहार रहे, मोदी के कटप्पा व सुहलदेव स्वाभिमान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र राजभर दूसरी दिशा में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
तीसरी चाल कभी जनवादी पार्टी की बैनर तले मऊ में सपा की राजनीति को धूल चटाते हुए जनवादी पार्टी के बैनर पर चौहान समाज के बेटे सुनील सिंह चौहान को मऊ ज़िला पंचायत का अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने बाले राजकुमार चौहान अपनों के बीच जाकर अपने लिए वोट माँग कर घोसी में बड़े दल का खेल बिगाड़ रहे हैं। ऐसे में घोसी की सियासत का ऊँट किस करवट बैठेगा यह बता पाना तो मुश्किल है, लेकिन जीतने और हारने वाले पहले और दूसरे नंबर के प्रत्याशी के कदम-कदम पर डर है कि परिणाम क्या होगा।
इसलिए भाजपा लोकसभा के लक्ष्य को भेदने के लिए विधानसभा घोसी के उपचुनाव के चक्रव्यूह से निकलने हुए दारा सिंह चौहान को विजय दिलाने के नित्य नई कोशिश कर रही है। भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल मऊ में कैम्प कर भाजपा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को जीत का गुरूमंत्र दे गए।