प्रदेश के आजमगढ़ जिले में गर्ल्स स्कूल की 11वीं की छात्रा द्वारा स्कूल परिसर बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या करने के मामले में उस स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदेश के सभी स्कूल प्रबंधक एकजुट हो गए हैं। इस घटना के विरोध में प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने आठ अगस्त को सभी विद्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया है।
अनएडेड स्कूल एसोसिएशन की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आजमगढ़ चिल्ड्रंस गर्ल्स स्कूल में हुई घटना एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक की हुई गिरफ्तारी के विरोध में उत्तर प्रदेश के समस्त निजी विद्यालय (सीबीएसई आईसीएसई अथवा यूपी बोर्ड या अन्य किसी भी बोर्ड) के हो बंद रहेंगे।
अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ने बताया कि विद्यालयों के द्वारा यह संकेतिक विरोध इसलिए किया जा रहा है कि जिससे उस प्रकरण की सही जांच की जाए और यदि संबंधित व्यक्ति को दोषी पाया जाता है, तो अवश्य कार्यवाही की जाए और सख्त से सख्त सजा दी जाए।
छात्रा के गलत कदम उठाने पर वह भी जबकि मोबाइल फोन छात्रा के पास से पकड़ा गया। यह फोन विद्यालय ने नहीं दिया, बल्कि अभिभावकों के द्वारा दिया गया है। आज अभिभावक कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं होते हैं। छोटी-छोटी सी बात पर एफआईआर की धमकी देते हैं। ऐसे में विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने इसी कारण से शिक्षक शिक्षिकाओं को सम्मान देना बंद कर दिया है।
अनिल अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में संगठन से जुड़े सभी स्कूल प्रबंधकों और प्रधानाचार्य की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है। वे भी समझते हैं कि विद्यालयों को बंद करने से छात्रों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है, लेकिन यह एक संदेहास्पद मामला है, जिसे सच्चाई के आधार पर सुलझाना बेहद महत्वपूर्ण है।
इस घटना ने समाज में बहुत गहरे शोक की भावना को उत्पन्न किया है और ऐसे में शिक्षा संस्थानों को जिम्मेदारी महसूस करने की जरूरत है। वे इस घटना से सीख निकालकर छात्रों को एक सुरक्षित और प्रेरित माहौल में पढ़ाने के लिए संशोधित शिक्षा प्रणाली विकसित करें।
इस विरोध के माध्यम से शिक्षा संस्थानों को अपनी नियमित प्रक्रियाओं को सुधारने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जिससे छात्रों को सामाजिक, शैक्षिक और आत्मिक रूप से विकसित करने में मदद मिल सके। समाज के सभी स्तरों पर एकता के संदेश को सार्थक बनाने के लिए, सभी संबंधित ताकतें मिलकर इस मुद्दे को ध्यान में रखने के लिए सक्रिय रूप से काम करना जरूरी है।
यह अवसर है कि हम सभी एकजुट होकर ऐसे घातक परंपराओं और सोच को समाज से उखाड़ फेकें, जो शिक्षा को प्रभावित करके छात्रों के मानसिक विकारों का कारण बनते हैं। छात्रों को समझाने, समर्थन करने, और प्रेरित करने के लिए हमें एक सकारात्मक एवं प्रोत्साहित माहौल बनाने की जरूरत है, जो उन्हें अपनी खुशियों, राग-द्वेषों, और संवेदनशीलता के साथ स्वीकार करता है।
इस प्रकार, सभी स्कूल और शिक्षा संस्थान एक ही मंच पर मिलकर विचार कर सकते हैं कि कैसे इस दुखद घटना को एक सबक स्वरूप उठाया जाए और भविष्य में इसके जैसी घटनाएं रोकने के लिए कैसे कदम उठाएं। संभवतः इससे हमारे शिक्षा पद्धति में सुधार हो, और समाज में शिक्षा के महत्व को और भी बढ़ावा मिले।