– डाॅक्टरों की मेहनत लाई रंग, टीम वर्क से मिली सफलता
। एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने एक चमत्कारिक सर्जरी के माध्यम से चार पैर और विकृत शरीर वाले नौ महीने के बच्चे का जीवन संवार दिया। जन्म से ही शारीरिक विकृति से जूझ रहे इस बच्चे को डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम ने आठ घंटे लंबी जटिल सर्जरी के बाद सामान्य स्वरूप दिया। अब बच्चा अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी सकेगा।जन्मजात थी शारीरिक विकृतिउत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर निवासी इस बच्चे के जन्म के समय परिवार वाले उसके असामान्य स्वरूप से घबरा गए। बच्चे के चार पैर थे, जिनमें से दो असामान्य स्थिति में थे। इसके अलावा, रीढ़ की हड्डी के ऊपरी हिस्से में एक बड़ी सूजन भी थी। यह विकृति जुड़वां भ्रूण के सही विकास न होने के कारण हुई थी। विशेषज्ञों ने बताया कि भ्रूण के विकास के दौरान एक भ्रूण अधूरा रह गया और उसका निचला हिस्सा बच्चे में जुड़ गया।चिकित्सकीय प्रयासों की शुरुआतबच्चे के माता-पिता 6 मार्च 2024 को एम्स ऋषिकेश की पीडियाट्रिक सर्जरी ओपीडी पहुंचे। बच्चे की स्थिति देख डॉक्टरों की टीम ने व्यापक जांच और तैयारी के बाद सर्जरी का फैसला लिया। इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग, न्यूरो सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, प्लास्टिक सर्जरी, इंटरवेंशन रेडियोलॉजी और एनेस्थेसिया विभाग के डॉक्टर शामिल हुए।जटिल सर्जरी में मिली सफलतासर्जरी टीम का नेतृत्व पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की प्रमुख प्रो. सत्या श्री और सर्जन डॉ. इनोनो योशू ने किया। लगभग 8 घंटे चली इस सर्जरी में डॉक्टरों को बच्चे के जीवन से जुड़े कई संवेदनशील पहलुओं का ध्यान रखना पड़ा। बच्चे की केवल एक किडनी होने के कारण चुनौती और बढ़ गई थी। सर्जरी के बाद बच्चे को 3 सप्ताह तक निगरानी में रखा गया। पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद उसे हाल ही में अस्पताल से छुट्टी दी गई। डॉक्टरों की टीम को सराहनाएम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने डॉक्टरों की टीम की सराहना करते हुए इसे बड़ी चिकित्सा उपलब्धि करार दिया।विशेषज्ञता और टीम वर्क का नतीजा सर्जरी में पीडियाट्रिक सर्जरी, पीडियाट्रिक विभाग, ऑर्थोपेडिक, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, इंटरवेंशन रेडियोलॉजी और एनेस्थेसिया विभाग के डॉक्टरों ने मिलकर काम किया। इस प्रकार का सफल उपचार डॉक्टरों की विशेषज्ञता और टीम वर्क का परिणाम है।