बेनामी संपत्तियों के खिलाफ आयकर विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। दो मामलों में रविवार को एक अधिवक्ता की लगभग दस करोड़ की संपत्ति कुर्क की है। इस दौरान मुनादी भी कराई गई।
सूत्रों की मानें तो आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति विंग ने कल्याणपुर निवासी अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला की बेनामी संपत्ति को कुर्क करने की कार्रवाई की है। जांच के दौरान खुलासा होने के बाद आयकर विभाग को जानकारी मिली कि अभिषेक शुक्ला ने दलित की जमीन खरीदने के लिए अपने दो नौकरों करन कुरील और एकलव्य मोहन कुरील के चेहरे का प्रयोग किया।
बिठूर के सिंहपुर कछार निवासी स्वर्गीय घसीटाराम की कई बीघा जमीन बिठूर और धर्मपुर के अलग-अलग हिस्सों में थी, जिसे उनके पोते मनीष से अपने दोनों नौकरों के नाम पर खरीदी। इतना ही नहीं, सरकार को धोखा देने के लिए घसीटाराम और मनीष के संयुक्त खाते से जमीन खरीदने के दौरान दी गई धनराशि को मनीष ने अपने निजी खाते में वापस कराया।
जमीन की खरीद फरोख्त होने के बाद फिर से मनीष की रकम उनके खाते में पहुंच गई और उन्होंने अपने नौकरों करन और एकलव्य के खाते में दोबारा पूरी रकम भेज दी और फिर से जमीनों को उसी रुपये से नौकरों के नाम पर खरीदी। इस पूरे खेल में एससी-एसटी भूमि कानून का भी उल्लंघन किया। करोड़ों की जमीन की जमीन को खेल करके खरीद-फरोख्त करने की भनक लगने पर आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति विंग ने अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला की लगभग 10 करोड़ की संपत्तियों को कुर्क किया है।
जिन जमीनों की खरीद फरोख्त का मामला है। वह पूरी जमीन कानपुर के सदर तहसील क्षेत्र में स्थित गंगपुर चकबदा, सिंहपुर कछार, प्रतापपुर हरी में है। आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति विंग ने करोड़ों की बेनामी संपत्तियों को कुर्क कराने के लिए इन सभी जमीनों के पास टीम ने जाकर अपने बोर्ड लगाए। मुनादी कराई और संपत्तियों को कुर्क किया। इससे कि गांव के लोगों को भी इसकी जानकारी हो सके कि बेशकीमती जमीन को अब आयकर विभाग ने कुर्क कर दिया है। इस पूरे खेल में अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला के साथ ही मृतक किसान घसीटाराम का पोता मनीष, जिनके नाम पर जमीन खरीदी गई के साथ करन और एकलव्य जांच के दायरे में आए हैं।