चीन में हांगझोऊ चल रहे एशियाई खेलों में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाली एथलीट अन्नु रानी का शनिवार को मेरठ लौब्टने पर जोरदार स्वागत किया गया। एनएच-58 बाईपास से कंकरखेड़ा फ्लाईओवर से लेकर गांव तक अन्नु रानी के स्वागत में लोगों ने पलक-पांवड़े बिछा दिए। ढोल-नगाड़ों के साथ बहादुरपुर गांव में ग्रामीणों ने अन्नु रानी की अगवानी की।
बहादुरपुर गांव निवासी अमरपाल सिंह की बेटी अन्नु रानी ने कभी खेतों की पगडंडियों पर गन्ने का भाला बनाकर प्रैक्टिस की थी। खेतों की पगडंडियों से शुरू हुआ अन्नु रानी का सफर 2023 में चीन में चल रहे एशियाई खेलों में स्वर्णिम सफर में बदल गया। अन्नु के पिता अमरपाल बताते हैं कि एक समय ऐसा भी था, जब वह भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली अपनी बेटी को डेढ़ लाख रुपए का भाला दिलाने में असमर्थ थे। उन्होंने अन्नु को पहला भाला 2500 रुपए में दिलाया था। इसके बाद अन्नु ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कामयाबी की इबारत लिखती चली गई। अन्नु पांच बहन-भाइयों में सबसे छोटी है।
खेल बदलते ही चमकने लगी अन्नु
अमरपाल बताते हैं कि उनका बेटा उपेंद्र और भतीजा लाल बहादुर अच्छे धावक रहे हैं। वह खुद भी शॉटपुट खिलाड़ी रह चुके हैं। गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद सरस्वती ने अन्नु को 2010 में डिस्कस और गोला फेंक के बजाए भाला फेंक पर फोकस करने की सलाह दी। स्पर्धा बदलते ही अन्नु रानी चमकने लगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्णिम प्रदर्शन किया है।