प्रयागराज, 22 सितंबर (हि.स.)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि परिवार के अन्य सदस्यों के पास आर्म्स लाइसेंस होने के आधार पर किसी महिला को लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने मेरठ जिले के खरखोदा इलाके की रहने वाली याची सीमा त्यागी का आर्म्स लाइसेंस देने की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर ली और डीएम मेरठ को लाइसेंस दिए जाने के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया।
याची ने डीएम मेरठ के समक्ष आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया था लेकिन डीएम ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसके पति, ससुर और सास के नाम से पहले से ही लाइसेंस है। लिहाजा, याची को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है। याची ने मेरठ कमिश्नर के समक्ष अपील की लेकिन मेरठ कमिश्नर ने अपील को खारिज कर दिया। याची ने डीएम और कमिश्नर के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी।
याची के अधिवक्ता का तर्क था कि याची का पारिवारिक व्यवसाय है और व्यावसायिक स्थल से उसका घर दो किलोमीटर दूर है। लिहाजा उसे लाइसेंस दिया जाना जरूरी है, जिससे कि वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सके। हालांकि, सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि याची को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। क्योंकि, परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पहले से ही लाइसेंस है लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना।
कोर्ट ने कहा कि परिवार के और सदस्यों के पास आर्म्स लाइसेंस होने से किसी को लाइसेंस देने से मना नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने याची के अभ्यावेदन पर डीएम मेरठ को निर्देशित किया कि वह दो महीने के अंदर लाइसेंस देने को लेकर दिए प्रत्यावेदन पर विचार कर निस्तारण करें।