हमारा दृष्टिकोण ही हमें विश्वगुरु बनायेगा : प्रो. रीता बहुगुणा जोशी

संवाद का अर्थ है आप और हम दोनों परस्पर सुनें और बोलें। चिंतन और परस्पर संवाद ही नवयुवकों का जीवन पथ प्रशस्त करता है। भारत विकसित देश कैसे हो, इसकी हम सबको चिंता करनी होगी। हमारा दृष्टिकोण ही हमें विश्वगुरु बनायेगा। हमारी पद्धति विश्व कल्याण की है। इसके लिए हमें पंचप्रण को अपनाना होगा।
यह बातें सांसद प्रो. रीता बहुगुणा जोशी ने सदनलाल सांवलदास खन्ना महिला महाविद्यालय में युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से आयोजित युवा संवाद इंडिया-2047 को सम्बोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि जब दुनिया अज्ञानता से भरी थी, उस समय हमारी संवेदना, निर्माण प्रक्रिया, हमारे विश्वविद्यालय, हमारा दर्शन, हमारा चिंतन, दुनिया के लिए प्रतिमान था। जीवन के रहस्य को अगर किसी ने सबसे पहले समझा तो वह देश भारत है।
उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् हमारे देश का मंत्र रहा है। न जाने कब से हम दुनिया के देशों से व्यापार कर रहे हैं, लेकिन एक समय ऐसा आया कि जब विदेशियों ने हमें एक सुई के लिए भी विदेश पर निर्भर बना दिया। लेकिन आज हम एक दिन में ही 103 सैटेलाइट छोड़कर विश्व रिकॉर्ड बना रहे हैं।
सांसद ने कहा कि हमने अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था के स्थान को प्राप्त किया है और वह भी ब्रिटेन जैसे देश को पीछे छोड़ कर। आज विदेशों में करोड़ों भारतीय रह रहे हैं। जरूरत है कि हम सब 140 करोड़ लोग एक साथ चलें और सही दिशा में चलें।
उन्होंने बताया कि सरकार तो प्रयत्न कर ही रही है। परंतु हमें भी देश को विकसित करने के लिए प्रयत्नशील होना होगा। वायु हो, जल हो, स्थल हो सब जगह विकास की बयार बह रही है। भारत का सड़क निर्माण आज से नौ साल पहले जहां 12 किलोमीटर प्रतिदिन की औसत से होता था ,आज हमने तिगुनी दर से सड़क निर्माण करने में सिद्धि प्राप्त की है।
उन्होंने आगे कहा कि विकसित भारत, गुलामी से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता एवं एकजुटता और नागरिकों का कर्तव्य। यें पंचप्रण हमें 2047 के भारत की दिशा दिखाएंगे। इसके लिए एकजुटता हमारा मंत्र होना चाहिए। कर्तव्य बोध के बिना किसी भी प्रकार के जीवन का निर्माण कठिन होता है और इसके लिए हमें आगे बढ़कर अपने को प्रस्तुत करना होगा। आज देश के प्रयत्नों से हमारा लिंगानुपात जो पहले 1000 पर 947 स्त्रियों का था वर्तमान में 1020 हुआ है। भारत को सर्वशक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाने का हमारा प्रयत्न ही 2047 के भारत के निर्माण का आधार बनेगा। आज हम सब 2047 के भारत पर चिंतन कर रहे हैं, उस समय तक हममें से सभी लोग जीवित नहीं रहने वाले। लेकिन इसके बावजूद हम 2047 के भारत के निर्माण की चिंता कर रहे हैं। यहां बैठे नवयुवक ही उस समय देश के कर्णधार होंगे। उनके कंधों पर इस देश के विकास की जिम्मेदारी होगी।